जन्म कुंडली द्वारा यह ज्ञान प्राप्त हो जाता है कि व्यक्ति को कौन सा नग पहनना है। इस बारे में अनेक धारणाएं है। कोई लग्न से, कोई राशि से, कोई ग्रहों के कमजोर और नकारात्मक प्रभाव वाला होने पर रत्न पहनते हैं। पर इन नगों को कौन सी धातु के साथ धारण किया जाए यह एक प्रश्न रहता है। इनको कौन से दिन पहनें तथा कौन सी अंगुली में पहनें आईए देखते हैं। सूर्य- माणिक्य- सोना- अनामिका- रविवार चंद्र- मोती- चांदी- अनामिका- सोमवार मंगल- मूंगा- तांबा- अनामिका- मंगलवार बुध- पन्ना- सोना- कनिष्ठिका- बुधवार गुरु- पुखराज- सोना- तर्जनी- गुरुवार शुक्र- हीरा- चांदी- अनामिका- शुक्रवार शनि- नीलम- अष्टधातु- मध्यमा- शनिवार राहु- गोमेद- अष्टधातु- मध्यमा- शनिवार केतु- लहसुनिया-अष्टधातु- मध्यमा- शनिवार कौन सा रत्न आपके लिय सही(which gemstone is suitable for u) आचार्य पंडित राजकुमार त्रिवेदी ने बताया कि सब रत्न सबके लिए नहीं होते। वे सुंदरता की वस्तु न होकर प्राणवान ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन उनका चयन अपने लिए अपने लग्न की राशि के अनुसार करना चाहिए, अन्यथा प्रतिकूल रत्न किसी भी सीमा तक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। धरती के आंचल में प्राप्त होने वाले आभावान पत्थरों को रत्न कहा जाता है। रत्न बड़े प्रभावशाली होते हैं। यदि लग्नेश व योगकारक ग्रहों के रत्नों को अनुकूल समय में उचित रीति से जाग्रत कर धारण किया जाए तो वांछित लाभ प्राप्त किया जा सकता है। रत्न विशेष की अंगूठी निर्धारित धातु में बनवाकर धारण करने से विशेष लाभ होता है सभी रत्न शुक्ल पक्ष में निर्धारित वार व होरा में धारण किए जाने चाहिए। मेष: … इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न मूंगा है जिसको शुक्ल पक्ष में किसी मंगलवार को मंगल की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर सोने में अनामिका अंगुली मं् धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ भौं भौमाय नमः लाभ- मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है और रक्त, साहस और बल में वृद्धि होती है, महिलाओं के शीघ्र विवाह मंे सहयोग करता है, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाता है। बच्चों में नजर दोष दूर करता है। वृश्चिक लग्न वाले भी इसे धारण कर सकते हैं। वृष: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न हीरा तथा राजयोग कारक रत्न नीलम है। हीरा को शुक्ल पक्ष में किसी शुक्रवार को शुक्र की होरा में जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ शुं शुक्राय नमः लाभ- हीरा धारण करने से स्वास्थ्य व साहस प्रदान करता है। समझदार बनाता है। शीघ्र विवाह कराता है। अग्नि भय व चोरी से बचाता है.ll महिलाओं में गर्भाशय के रोग दूर करता है। पुरुषों में वीर्य दोष मिटाता है। कहा गया है कि पुत्र की कामना रखने वाली महिला को हीरा धारण नहीं करना चाहिए अतः वे महिलाएं जो पुत्र संतान चाहती हैं या जिनके पुत्र संतान है उन्हें परीक्षणोपरांत ही हीरा धारण करना चाहिए। इसे तुला लग्न वाले जातक भी धारण कर सकते हैं। मिथुन: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न पन्ना है जिसे बुधवार को बुध की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर पहनना चाहिए। मंत्र- ऊँ बुं बुधाय नमः लाभ- पन्ना निर्धनता दूर कर शांति प्रदान करता है। परीक्षाओं में सफलता दिलाता है। खांसी व अन्य गले संबंधी बीमारियों को दूर करता है। इसके धारण करने से एकाग्रता विकसित होती है। काम, क्रोध आदि मानसिक विकारों को दूर करके अत्यंत शांति दिलाता है। कन्या लग्न वाले जातक भी इसे धारण कर सकते हैं। कर्क: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न मोती है जिसे सोमवार के दिन प्रातः चंद्र की होरा में पहनना चाहिए। पहनने के पहले रत्न को इस मंत्र से अवश्य जाग्रत कर लेना चाहिए। मंत्र- ऊँ सों सोमाय नमः लाभ- मोती धारण करने से स्मरण शक्ति प्रखर होती है। बल, विद्या व बुद्धि में वृद्धि होती है। क्रोध व मानसिक तनाव शांत होता है। अनिद्रा, दांत व मूत्र रोग में लाभ होता है। पुरुषों का विवाह शीध्र कराता है तथा महिलाओं को सुमंगली बनाता है। इस लग्न वाले यदि मूंगा भी धारण करें तो अत्यंत लाभ देता है क्योंकि मूंगा इस लग्न वाले व्यक्ति का राजयोग कारक रत्न होता है। सिंह: इस लग्न वाले जातकांे का अनुकूल रत्न माणिक्य है। इसे रविवार को प्रातः रवि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ घृणि सूर्याय नमः लाभ- माणिक्य धारण करने से साहस में वृद्धि होती है। भय, दुःख व अन्य व्याधियों का नाश होता है। नौकरी में उच्चपद व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। अस्थि विकार व सिर दर्द की समस्या से निजात मिलती है। इस लग्न वाले व्यक्ति यदि मूंगा भी धारण करें तो अत्यंत लाभ देता है। क्योंकि इस लग्न वाले व्यक्ति का मूंगा राजयोग कारक रत्न होता है। धनु: इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न पुखराज है जिसे शुक्ल पक्ष के किसी गुरुवार को प्रातः गुरु की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पतये नमः लाभ: पुखराज धारण करने से बल, बुद्धि, ज्ञान, यज्ञ व मान-सम्मान में वृद्धि होती है। पुत्र संतान देता है। पापकर्म करने से बचाता है। अजीर्ण प्रदर, कैंसर व चर्मरोग से मुक्ति दिलाता है। मिथुन, कन्या, वृश्चिक, धनु, कुंभ व मीन लग्न वाले जातक पुखराज धारण कर सकते हैं। वृष, कर्क, सिंह, तुला और मकर लग्न वाले जातक पुखराज धारण न ही करें तो अच्छा है। मेष लग्न वाले जातकों को भी वर्जित है परंतु यदि गुरु जन्म कुंडली के प्रथम, पंचम व नवम भावस्थ हो तो धारण करें। अच्छा है। जिस कन्या का विवाह न हो रहा हो उसे अवश्य धारण करना चाहिए परंतु उसकी लग्न या राशि, धनु या मीन होनी चाहिए। मकर: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न नीलम है जिसे शनिवार के दिन प्रातः शनि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराये नमः लाभ- नीलम धारण करने से धन, सुख व प्रसिद्धि में वृद्धि करता है। मन में सद्विचार लाता है। संतान सुख प्रदान करता है। वायु रोग, गठिया व हर्निया जैसे रोग में लाभ देता है। नीलम को धारण करने के पूर्व परीक्षण अवश्य करना चाहिए। नीलम धारण करने से पूर्व कुशल ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। रत्न सारणी लग्न स्वामी ग्रह रत्न धातु मित्र रत्न शत्रु रत्न मेष, वृश्चिक मंगल मूंगा सोना माणिक्य, मोती, पुखराज पन्ना वृष, तुला शुक्र हीरा सोना पन्ना, नीलम माणिक्य, मोती मिथुन, कन्या बुध पन्ना सोना/ कांसा माणिक्य, हीरा मोती कर्क चंद्रमा मोती चांदी माणिक्य, पन्न्ना – सिंह सूर्य माणिक्य सीसा मोती, मूंगा, पुराखराज म ा िण् ा क् य , मोती, मंूगा मकर, कुंभ शनि नीलम लोहा/ सीसा पन्ना, हीरा म ा िण् ा क् य , मोती, मूंगा धनु, मीन गुरु पुखराज सोना/ चांदी मोती, मूंगा, माणिक्य हीरा, नीलम .. रत्न धारण करने में हाथ का चयन: चिकित्सा शास्त्र की मान्यता है कि पुरुष का दायां हाथ व महिला का बांया हाथ गर्म होता है। इसी प्रकार पुरुष का बांया हाथ व महिला का दांया हाथ ठंडा होता है। रत्न भी अपनी प्रकृति के अनुसार ठंडे व गर्म होते हैं। यदि ठंडे रत्न, ठंडे हाथ में व गर्म रत्न गर्म हाथ में धारण किये जाएं तो आशातीत लाभ होता है। प्रकृति के अनुसार गर्म रत्न – पुखराज, हीरा, माणिक्य, मूंगा। प्रकृति के अनुसार ठंडे रत्न – मोती, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया। रत्न मर्यादा- रत्न को धारण करने के बाद उसकी मर्यादा बनायी रखनी चाहिए। अशुद्ध स्थान, दाह-संस्कार आदि में रत्न पहन कर नहीं जाना चाहिए। यदि उक्त स्थान में जाना हो तो उसे उतार कर देव-स्थान में रखना चाहिए तथा पुनः निर्धारित समय में धारण करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रत्न शुक्ल पक्ष के दिन निर्धारित वार की निर्धारित होरा में धारण किये जाएं। खंडित रत्न कदापि धारण नहीं करना चाहिए।
एक परिचय ..... ज्योतिष में कई विधाएं प्रचलित है , सभी अपने आप मे अद्वितीय है । ज्योतिष को हम विज्ञान कहते है और विज्ञान में सदैव शोध कार्य चलते रहते है , हम सभी ने कक्षा 10 वीं में पढ़ा है कि धरती और ब्रह्मां...
Jupiter, also known as Guru is considered to be one of the most benefic planets in astrology. It is the largest planet in the solar system and is nearest in comparison with the Sun in regard to its size. It tak...
Hinduism gives a lot of importance to Dana(giving or charity) and is considered an important part of an individual’s Dharma. Every individual has a Dharma towards family, society and all living things. Da...