एक परिचय ..... ज्योतिष में कई विधाएं प्रचलित है , सभी अपने आप मे अद्वितीय है । ज्योतिष को हम विज्ञान कहते है और विज्ञान में सदैव शोध कार्य चलते रहते है , हम सभी ने कक्षा 10 वीं में पढ़ा है कि धरती और ब्रह्मांड में पाये जाने वाले तत्व अणु ( एटम ) से बने है , बाद में यह खोज की गई कि अणु , परमाणु से बने है और परमाणु , इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन और न्युट्रान से बने है । हमारा शरीर भी उन्ही तत्वों से मिलकर बना है जिनसे सभी ग्रह बने है अतः दूर स्थित ग्रह हम पर प्रभाव अवश्य पैदा करते है । वैज्ञानिकों की बाद कि खोजो ने यह सिद्ध किया कि कोई भी पदार्थ " क्वार्क " से बना है जिसे बाद में " गॉड पार्टिकल " का नाम दिया गया । डाल्टन के नियम को बोहर-बरी ने संशोधित कर दिया और आज उन्ही नये नियमो के आधार पर हमारे पास नई टेक्नोलॉजी के मोबाइल , लेपटॉप आदि है , इसी प्रकार ज्योतिष भी यदि विज्ञान है तो इसमें भी निरन्तर शोध चलते रहने चाहिये , इसी शोध का परिणाम है - " के . बी . विधा . " यह विधा के पी विधा से प्राप्त परिणामो को फिल्टर कर देती है । के बी सिस्टम एक विस्तृत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है । के बी विधा का सारभूत सिद्धान्त यह है कि - " किसी विचारणीय भाव के सबलार्ड का स्टारलार्ड घटना को सूचित करता है और सबलार्ड का सबलार्ड घटना का निर्धारण सकारात्मक या नकारात्मक के रूप में करता है । " अर्थात सबलार्ड ही मुख्य निर्णयकर्ता है । आधुनिक ज्योतिष के क्षेत्र में ' सबलार्ड ' की खोज एक वास्तविक शोध का परिणाम है । हमे परम्परागत प्राचीन ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों की सत्यता पर कोई भी सन्देह नही है लेकिन यह भी सत्य है कि इन सिद्धांतों को दैनिक जीवन मे प्रयोग करना वैदिक ज्योतिष में एक कठिन कार्य है । अब माना कि किसी जातक का जन्म मकर लग्न में हुआ और उसे शनि की दशा शुरू होने वाली है ऐसे में परम्परावादी ज्योतिषी लग्न और 2 रे भाव लेगा फिर शनि की स्थिति देखेगा की शनि लग्न कुंडली मे कहाँ विराजमान है यदि 5 वें भाव मे है तो अब वह 1 , 2 , 5 भावों के फलकथन शनि के बारे में करेगा , फिर एक बात और बढ़ जाएगी - शनि की दृष्टियाँ और शनि पर अन्य ग्रहों की दृष्टि या सम्बन्ध । यह सब कुछ यान्त्रिक तरीके से लग्न कुंडली द्वारा प्राप्त होगा , इसके बाद ग्रह बल , षड्बल , शुभ , अशुभ दशा - चक्र आदि का खेल शुरू हो जाएगा अन्त में फल आशाओं के अनुरूप नही होंगे । वास्तव में ऐसा कोई विज्ञान नही है जिसे जिसे ठीक प्रकार से समझा ही ना गया हो । पश्चिमी विद्वान सदैव खोजी पृवत्ति के रहे है यदि वे किसी कथन में सत्यता को खोजते है और विश्वास योग्य समझते है तो उसमें आगे खोज करते है , हो सकता है कि उन्हें असफलता हाथ लगे तो भी वे विचार करते है कि ऐसा कैसे हुआ ? सत्य को जानने के लिए अनुसन्धान करते है उस पर करोड़ों रूपया खर्च करते है यही कारण है कि आज जो जानकारी उन्हें ब्रह्मांड के बारे में सबूत के साथ है वो अन्य के पास नही , ऐसा नही है हम प्रयास नही कर रहे बल्कि हमारी सोच में फर्क है भारत देश जिसे सदैव ही महान बताया गया है यहाँ के छात्रों की सोच - नोकरी, छोकरी, सर्विस/ बिजनेस तक ही सीमित है जबकि यूरोपियन देश के छात्र यह सोचते है कि - ब्रह्मांड में कैसे जाया जाय , सबसे तेज गति का फाइटर प्लेन कैसे बनाया जाये आदि । आज उन्ही की सोच का परिणाम है नवीनतम टेक्नोलॉजी । यह हम भी कर सकते है लेकिन हमारी सोच सदैव पतली गली पकड़ने की होती है , स्कूल में पढ़ाते हुए मेने अनुभव किया कि स्टूडेंट्स गणित और फिजिक्स के बड़े और कठिन प्रश्नों से घबराते है और उन्हें या तो अधूरा करते है या छोड़ ही देते है । वे सदैव सरल तरीके अपनाना पसन्द करते है । कुछ लोग एस्ट्रोलोजी पर विश्वास नही करते जबकि उन्हें यह भी नही मालूम कि जो कैलेंडर सारी दुनिया मे प्रयुक्त होता है वो एस्ट्रोलोजी पर ही आधारित है । राशियां और नक्षत्र क्या है ? ये " ग्रुप्स ऑफ स्टार्स " है कोई चीज हम पर प्रभाव क्यो छोड़ती है क्योंकि वो दिखाई देती है प्रकाश के परावर्तन के कारण , इसी प्रकार राशियों और नक्षत्रों से प्रकाश विभिन्न आभामण्डलो को पार करता हुआ हम तक पहुँचता है और प्रभाव डालता है । कोई भी व्यक्ति का शरीर एक यन्त्र होता है लेकिन व्यक्ति को यन्त्र मानकर उसे किसी भी कार्य के लिए तैयार नही किया जा सकता , यदि ऐसा होता तो किसी भी सफल कोचिंग क्लास के सभी विद्यार्थियों को एक जैसी ही सफलता मिलती । वास्तव में किसी के जन्म के साथ ही उसकी ग्रहण करने और कार्यो को करने की क्षमता ग्रहो द्वारा निश्चित कर दी जाती है । इसमें भी अन्तर सबलार्ड द्वारा परिलक्षित होता है यही कारण है कि जुड़वाँ बच्चों की पत्रिका एक होते हुए भी उनमे स्वभाव / विचार / शिक्षा / भाग्य में अन्तर होता है । भचक्र में राशियों को 4 ग्रुप में रखा गया है । अग्नि , पृथ्वी , वायु और जल ।
Jupiter, also known as Guru is considered to be one of the most benefic planets in astrology. It is the largest planet in the solar system and is nearest in comparison with the Sun in regard to its size. It tak...
Hinduism gives a lot of importance to Dana(giving or charity) and is considered an important part of an individual’s Dharma. Every individual has a Dharma towards family, society and all living things. Da...
ज्योतिषशास्त्र के शुभ योगऔर शुभमुहूर्त वेदभारतीय वाङ्मय औरआध्यात्मशास्त्र के निधिभूतग्रंथहैऔरवेदपुरूष के चक्षु के रूपमेंअभिहितज्योतिषशास्त्र वहपराविद्याहैजिसकेप्रभापरकाल का कुछभीप्रभावनहींपड़ाहैऔर यह आजभीदैदी...